कम्प्यूटर क्या है ? अर्थ, परिभाषा , प्रकार पूरी जानकारी

MUKESH CHOUDHARY
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कम्प्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो हर प्रकार का कार्य बहुत कम समय मे कर सकती है ।जो सूचनाओं का संग्रह करता है और उस पर प्रक्रिया करके अर्थपूर्ण परिणाम देता है ।

कम्प्यूटर विद्युत चलित यंत्र है जो कि आँकड़ों को इनपुट के रूप में लेता है तथा इनपुट किये गये आँकड़ों को विश्लेषित करके अर्थपूर्ण जानकारी देता है ।


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    Meaning Of Computer In Hindi


     कंप्यूटर  लैटिन भाषा के Computare और अंग्रेजी भाषा के  compute शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है गणना करना(calculate) ।    आमतौर पर कम्प्यूटर   को गणना करने की मशीन भी कहा जाता है । 





    Definition Of Computer In Hindi


    कम्प्यूटर की परिभाषा बहुत ही आसान है कम्प्यूटर एक मशीन है जो बिद्दुत ऊर्जा का उपयोग कर चलती है तथा  processes, calculations और operations perform करती है ।

    Definition of Computer in english 


    Computer is an electronic device used for arthometical and logical functions 



    Input devices 



    इनपुट उपकरण(Input devices)-ऐसे उपकरण जिसके माध्यम से कम्प्यूटर में कुछ आँकड़े अथवा प्रोग्राम भरे जाते हैं, इनपुट उपकरण कहलाते हैं । जैसे कीबोर्ड (Keyboard),छेदवाले कार्ड (Punched cards),पेपर टेप्स (Paper tapes),मैगनेटीक टेप (Magnetic Tap),मैगनेटिक डिस्क  (Magnetic Disk),फ्लापी डिस्क  (Floppy disk) आदि ।



    Output Devices 


    आउटपुट उपकरण(Output Devices )-आउटपुट उपकरण हम उन उपकरणों को कहते हैं जो इनपुट द्वारा दिए गये आँकड़ों या परिणामों को हमें दिखाता है या बाहर प्रदर्शित करता है । जैसे - माॅनीटर (Monitor ),प्रिंटर (Printer) आदि ।



    Computer Memory


    कम्प्यूटर की मैमोरी को दो भागो मे वर्गीकृत किया गया है :

    • (1)RAM
    • (2)ROM



    Random Access Memory (RAM)


    RAM (Random Access Memory ): कम्प्यूटर में RAM का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है । जब हम कम्प्यूटर में किसी भी प्रोग्राम को क्रियान्वित करते हैं तो सर्वप्रथम वह रैम मे लोड होता है तथा उसके पश्चात ही क्रियान्वित होता है । यह अस्थायी मैमोरी होती है , जब प्रोग्राम के एक भाग का कार्य पूर्ण हो जाता है तो उसके स्थान पर प्रोग्राम का दूसरा भाग लिखा जाता है ।इसके साथ ही यह मैमोरी एक निश्चित क्रम में कार्य न करके Random  ( बिना क्रम के) तरीके से कार्य करती है। यह मैमोरी आपनी आवश्यकता के अनुसार प्रोग्राम को या डेटा को किसी भी स्थान से पढ़कर प्रयोग करती है।इसके अतिरिक्त जब हम कम्प्यूटर को बंद करते हैं तो इस मैमोरी में load हुए प्रत्येक निर्देश व डेटा समाप्त हो जाते हैं ।वर्तमान समय में इतने विशाल साॅफ्टवेयरो का प्रयोग किया जाता है की इन्हें क्रियान्वित होने के लिए बहुत अधिक मात्रा में RAM की आवश्यकता होती है इसलिए आजकल कम्प्यूटर में कई-कई गिगाबाइट रैम का प्रयोग किया जाता है । इसे परिवर्तनशील मैमोरी(volatile Memory) भी कहते हैं ।



    Read Only Memory (ROM)



    ROM (Read Only Memory ): इस प्रकार के मैमोरी चिप्स में एक बार किसी भी प्रोग्राम या साॅफ्टवेयर को स्थायी रूप से काॅपी कर दिया जाता है जिसे कम्प्यूटर अपनी आवश्यकता के अनुसार पढता रहता है ।इस प्रकार इन मैमोरी चिप्स मे लिखे निर्देशों को पढ़कर क्रियान्वित किया जा सकता है ।इनमें किसी प्रोग्राम को अलग से लोड नही किया जा सकता है, इसलिए इन्हें ROM कहते हैं ।


    Computer Memory Units 


    कम्प्यूटर मेमोरी इकाई (computer memory Units) : जिस प्रकार वजन को मापने के लिए ग्राम , किलोग्राम है । दूरी को मापने के लिए मिलीमीटर, सेंटीमीटर, इंच , किलोमीटर है । आवाज को मापने के लिए डेसीबल है जैसे मात्रक है उसी प्रकार कम्प्यूटर की स्टोरेज क्षमता  को मापने के लिए भी मात्रक का निर्धारण किया गया है जिसे हम कम्प्यूटर का मेमोरी युनिट कहते हैं । 
    कम्प्यूटर मेमोरी की सबसे छोटी इकाई को हम बिट (Bit) कहते हैं । एक बिट बराबर 0 या 1 मे कोई एक मूल्य होता है । जब 4 बिट को एक साथ मिला दिया जाता है तो उसे हम निब्बल कहते हैं अर्थात 4 बिट = 1 निब्बल और 8 बिट को हम 1 बाइट कहते हैं । 
    जब हम अपने कम्प्यूटर मे माइक्रोसॉफ्ट वर्ड या ऐक्सेल या कोई अन्य डॉक्यूमेंट्स खोलते हैं और उसमे कोई भी एक अल्फाबेट या नंबर्स टाईप करते हैं तो वह कम्प्यूटर मे बाइट के बराबर जगह घेरता है । आइए हम कम्प्यूटर मेमोरी की सभी इकाईयो को एक साथ देखते हैं टेबल मे इन्हे कम्प्यूटर के छात्रो को याद कर लेना चाहिए 


    1 बिट = 0 या 1
    4 बिट = 1 निब्बल
    8 बिट = 1 बाइट 
    1000 बाइट = 1 किलोबाइट 
    1024 किलोबाइट = 1 मेगाबाइट 
    1024 मेगाबाइट = 1 गीगाबाइट 
    1024 गीगाबाइट  = 1 टेराबाइट 
    1024 टेराबाइट = 1 पेंटागन 
    1024 पेडाबाइट = 1 एक्साबाइट
    1024 एक्साबाइट = 1 जेटबाइट 
    1024 जेटबाइट = 1 YB 
     

    Hardware And Software


    Hardware (हार्डवेयर)


    हार्डवेयर (Hardware)-   कम्प्यूटर एक इलैक्ट्राँनिक उपकरण है । यह की-बोर्ड, माॅनिटर,सी•पी•यू•,माऊस आदि इलैक्ट्राँनिक  उपकरणों को जोड़कर बनाया गया है ।इन सभी उपकरणों को संयुक्त रूप से हार्डवेयर कहते हैं ।


    Software (सॉफ्टवेयर) 


    साॅफ्टवेयर (Software)-   कम्प्यूटर से कोई भी कार्य करवाने से पहले कम्प्यूटर को उचित भाषा में लिखे हुए क्रमबद्ध निर्देश दिए जाते हैं ।निर्देश के एक सैट को प्रोग्राम कहा जाता है और प्रोग्रामो के सैट को साॅफ्टवेयर कहा जाता है ।एक ही कम्प्यूटर की मशीन से केवल साॅफ्टवेयर बदल कर अनेक प्रकार के कार्य कराये जा सकते हैं ।




    computer ka full form



    • C = Commonly(आमतौर पर)
    • O = Operating (संचालित)
    • M = Machine(मशीन)
    • P = Purposely(विशेष रूप से)
    • U = Used For (उपयोग के लिए )
    • T = Trade(व्यापार) 
    • E = Education And(शैक्षणिक)
    • R = Research(अनुसंधान)




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     कम्प्यूटर के विशिष्ट गुण (specific characteristics of computer in hindi)


    अब तक हम कम्प्यूटर का अर्थ, परिभाषा, फुलफॉर्म,  ,हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और स्मृति के बारे मे जान चुके हैं अब हम जानते हैं कम्प्यूटर की विशेषता अर्थात विशिष्ट गुण के बारे मे ।  किसी भी चीज के बारे मे आप जानकारी चाहते हैं हैं उस चीज की विशेषता जरूर जानना चाहिए यह किसी भी चीज के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी होता है । 


    Speed(गति)



    1.speed(गति) : कम्प्यूटर अत्यंत तिब्रगति से काम करनेवाला मशीन है । कम्प्यूटर किसी भी प्रकार के कैलकुलेसन का काम कुछ ही सेकंड मे इतना कर सकता है जितना मानव कई वर्षो मे नही कर सकता है । और भी कई प्रकार के कार्य कम्प्यूटर बहुत ही तेज गति से करता है । शिक्षा ,स्वास्थ्य हर जगह कम्प्यूटर ने अपना योगदान दिया है और बहुत कम समय मे परिणाम दिया है ।


    Accuracy(शुध्दता)



    2. Accuracy(शुद्धता) : कम्प्यूटर कभी कोई गलती नही करता है । कम्प्यूटर पर काम करनेवाला व्यक्ति यदि गलत डाटा इनपुट नही करता है तो कम्प्यूटर कभी मिस्टेक नही करता है और हंड्रेड पर्सेंट शुद्ध परिणाम देता है । अगर कहीं पर कोई गलती पाया जाता है तो वह कम्प्यूटर पर काम करने वाला व्यक्ति ही करता है ।


    Automation(स्वचालित)



    3. Automation(स्वचालित) : आपने बहुत सारे ऑतोमैटिक मशीन देखा होगा जिसको एक बार कमांड दे दिया जाता है उस के बाद वो निरंतर अपने आप चलता रहता है वैसे ही कम्प्यूटर  automatically चलता रहता है । बस कम्प्यूटर की मेमोरी मे प्रोग्राम को एक बार लोड कर दिया जाता है उस के बाद एक बार कमांड दिया जाता है और वो प्रोग्राम लगातार चलता रहता है जब तक की वो समाप्त न हो जाए। 


    Realibility(विश्वसनीयता) 



    4. Realibility(विश्वसनीयता) : कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त कार्यो ,गणनाओ तथा सूचनाओ की शुद्धता उच्च स्तर का होता है इसलिए इनके द्वारा किए गए कार्यो मे विश्वसनीयता पाया जाता है । कम्प्यूटर की स्टोरेज मेमोरी सालो बाद भी  accurate रहती है । इस लिए कम्प्यूटर द्वारा किए गए कार्यो पर हम बिना किसी संदेह के विश्वास कर लेते हैं । 


    Diligence(परिश्रमी)



    5. Diligence(परिश्रमी) : मनुष्य अगर दो-चार दिन लगातार काम करता है तो वह थक जाता है और उसे आराम की जरूरत महसूस होती है और वो अगर किसी ग्रुप मे काम करता है तो उस को दुसरे लोगो से जलन होती है और वह दुसरे  लोगो को देखता है कि वह काम कर रहा है या सोया है और एक दूसरे से भेदभाव रखते हैं परन्तु कम्प्यूटर किसी प्रकार का भेदभाव नही रखता है वह अपना काम घंटो ,दिनो,महीनो लगातार करता रहता है और थकता भी नही है और न ही वह कोई गलती करता है इस तरह वह मनुष्य का सेवक बना हुआ है जिस के लिए वह बिना किसी भेदभाव के निरंतर कठिन परिश्रम करता रहता है ।


    Versatility(सार्वभौमिकता)



    6. Versatility(सार्वभौमिकता): कम्प्यूटर अपनी सार्वभौमिक (विभिन्नता) के कारण पूरी दुनिया मे अपना प्रभुत्व स्थापित करता जा रहा है इनका क्षेत्र बहुत ब्यापक है हर काम मे इस का यूज होता है चाहे वह कार्य कितना भी बड़ा हो या छोटा । उदाहरण- रेलवे टिकट ,एलआईसी ऑफिस, चिकित्सा जगत,बैंकिंग इत्यादि


    Amaging Memory(अद्भुत स्मृति)



    7. Amaging Memory(अद्भुत स्मृति) : कम्प्यूटर के अंदर गजब की मेमोरी पावर है वह छोटी सी छोटी बात को अपने पास संयोग कर रखता है और उन से यदि कोई जानकारी मंगा जाता है तो तुरंत दिखा देता है ।


    Vast Storage Capacity(विशाल भंडारण क्षमता ) 



    8. Vast Storage Capacity(विशाल भंडारण क्षमता ) : कम्प्यूटर के पास अपार भंडारण क्षमता है या यू कहे कि असीमित storage capacity है तो गलत नही होगा । कम्प्यूटर की स्टोरेज मे अनेको प्रकार के फाइल, फ़ोल्डर ,डॉक्यूमेंट्स, ऑडियो , विडिओ कई वर्षो तक सेव रहते हैं और इन सब की जरूरत परने पर सेकंडो मे निकाल सकते है बिना किसी प्रॉब्लम के 


    No Fillings(भावनाहीन)



    9. No Fillings(भावनाहीन): कम्प्यूटर हर क्षेत्र मे अनेको प्रकार का कार्य करने के बावजूद एक यंत्र प्रतित होता है । अतः यंत्र होने के कारण कम्प्यूटर मे किसी प्रकार का भावना नही होता है ।


    No Intelligane(आसूचना विहीन)



    10. No Intelligane(आसूचना विहीन) : कम्प्यूटर के पास कोई खुद का बुद्धिमता नही है यह कारण है कि इतना डेवलप होने के बाद भी वह मनुष्य का सेवक बना हुआ है ।



     प्रक्रिया के समय कम्प्यूटर का कार्य  

    • प्रयोगकर्ता से आँकड़े प्राप्त करना ।
    • युजर से निर्देश प्राप्त करना । 
    • प्राप्त निर्देशानुसार सूचनाओ को आँकड़े मे परिवर्तित करना ।
    • परिवर्तित आँकड़े को आउटपुट के रूप मे देना ।





    कम्प्यूटर के मुख्य भाग(Components/Parts  of computer in hindi)


    कम्प्यूटर कई छोटे बड़े कम्पोनेन्ट्स से मिलकर बना है जो देखने मे बहुत complicated लगते है पर जो इस के बारे मे जान लेता है उसे कम्प्यूटर बिल्कुल कम्पिलिकेटेड नही लगता है आइये जानते है इस के मुख्य भाग के बारे मे थोड़ा विस्तार से 



    मदर बोर्ड (mother board)


    कम्प्यूटर के सबसे मुख्य सर्किट बोर्ड को मदर बोर्ड कहते हैं जो देखने मे एक पतली प्लेट की तरह होता है औ जो विभिन्न components से जुड़कर बना  रहता है । जैसे मेमोरी , हार्ड ड्राइव, connecter,optical drive  इत्यादि । और यू कहे तो मदर बोर्ड प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कम्प्यूटर के सभी डिवाइस से जुड़ा रहता है 


    सी पी यू / प्रोसेसर (cpu/processor)


    C.P.U. यानि Central Processing Unit कम्प्यूटर का वह भाग जहा आंकड़ो का गणना एवं प्रोसेसिंग होता है । सी पी यू कम्प्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग और इसे कम्प्यूटर का Brain(दिमाग) कहा जाता है । कम्प्यूटर के सारे कम्पोनेन्ट्स जैसे कीबोर्ड , मॉनीटर,माऊस, प्रिंटर, स्कैनर, कार्ड रीडर , आदि सी पी  यू से जुड़ा रहता है 


    रैम (Ram)


    RAM का पूरा नाम Random Access Memory है । यह कम्प्यूटर सिस्टम का अस्थाई मेमोरी है इसे MB(Megabytes),GB(Gigabytes) मे मापा जाता है । जब हम कम्प्यूटर मे कोई काम करते हैं तो वह सारा डाटा  रैम मे लोड होता है और जब हम कम्प्यूटर बंद करते है तो वह सारा दावा डिलीट हो जाता है इस लिए इसे अस्थाई मेमोरी कहते है यदि आप कार्य करने के बाद डाटा को बचाना चाहते हैं तो आप को उस डाटा को सेव करना परेगा इस के बाद वह हार्ड ड्राइव मे सेव हो जायेगा और डाटा सुरक्षित रहेगा और आप बाद मे कभी भी ऐक्सेस कर सकते है । जिस कम्प्यूटर का रैम जितना अधिक रहेगा उस का स्पीड उतना ही अधिक होगा । 


    हार्ड डिस्क ड्राइव( hard disk drive)



    हार्ड डिस्क में Metal की बनी कई discs एक के ऊपर एक parallel रूप से लगा दी जाती हैं. जिससे यह Hard Drive का रूप ग्रहण कर लेती हैं. इसमें ऊपर व निचे की सतह को छोड़कर प्रत्येक सतह पर डाटा लिखा जाता हैं. डिस्क अपनी सतह पर लगातार घूमती रहती हैं.


    अतः किसी भी सतह पर डाटा पढ़ा या लिखा जा सकता हैं. इसमें प्रत्येक सतह के लिए अलग-अलग read/write heads लगे होते हैं. Hard Disc Computer में स्थायी रूप से लगी होती हैं और यह काफी विश्वसनीय होती हैं.


    power supply unit



    किसी भी इलैक्ट्राँनिक डिवाइस को चलाने के लिए करेंट यानि बिजली की जरूरत होती है । कम्प्यूटर मे बिजली की आपूर्ति पावर सप्लाई युनिट के माध्यम से की जाती है जिसे मेन पावर सप्लाई से कनेक्ट किया जाता है और power supply unit  के माध्यम से कम्प्यूटर के सभी components मे पहुंचया
     जाता है । 


    Keyboard 



    कीबोर्ड एक इनपुट उपकरण है । इसकी सहायता से हम कोई भी डाटा टाईप कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उस का हम प्रिंट भी निकाल सकते हैं । पूराने समय के कीबोर्ड मे कुल 84 कीज होते थे परन्तु आधुनिक कीबोर्ड जिसमे जरूरत के हिसाब से नए- नए कीज जोड़े गए हैं तो इनकी कीज की संख्या 100 से 110 तक हैं । 


    Mouse

     

    माउस भी एक इनपुट उपकरण है जब इस का आविष्कार नही हुआ था तब लोग कीबोर्ड से ही माउस का काम करते थे  लेकिन माउस को आने के बाद  लोगो के काम का स्पीड बढ़ गया । सामान्यतौर पर माउस मे एक व्हील होता है जिस को आगे-पीछे घुमाकर आप एक पेज से दूसरे पेज पर जा सकते हैं यदि डॉक्यूमेंट्स मे एक से अधिक पेज है । इस के अतिरिक्त और दो बटन होता है  लेफ्ट और राइट।  किसी फ़ोल्डर पर राइट क्लिक करने पर ढेर सारे ऑप्शन दिखाई देते हैं यथा-open ,cut,copy, paste, properties इत्यादि  इन सभी ऑप्शन का उपयोग करने के लिए इन पर लेफ्ट क्लिक किया जाता है।


    UPS 



    कंप्यूटर UPS का पूरा नाम "उनिंटर्रप्टेबल पावर सप्लाई" है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जो कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अनेक स्त्रोतों से आने वाली शक्ति की संचित शक्ति में रखता है। जब विद्युत शक्ति की आपूर्ति अचानक बंद होती है, तो UPS उपकरणों को बिना रुकावट के संचालित रखकर उन्हें समय देता है ताकि उपयुक्त तरीके से बंद किया जा सके। इससे उपयोगकर्ता अपने डेटा को सुरक्षित रख सकता है और आकस्मिक विद्युत बंद होने से उपकरणों को नुकसान से बचा सकता है।



    Monitor 



    मॉनीटर एक आउटपुट डिवाइस है जो देखने मे एक टेलीविजन की तरह होता होता है । जब हम कम्प्यूटर कीबोर्ड से कुछ भी टाईप करते हैं तो वह हम मॉनीटर की स्क्रीन पर दिखाई देता है । मॉनीटर कई प्रकार के होते हैं जैसे सीआरटी मॉनीटर, एल सी डी , एल इ डी आदि । मॉनीटर के बारे मे विस्तार से जानने के लिए मॉनीटर क्या है इस लिंक पर क्लिक करे जो नीले रंग मे दिखाई दे रहा है । 



    कम्प्यूटर के प्रकार (types of computer in hindi )



     आधुनिक कम्प्यूटर विभिन्न प्रकार के होते हैं। कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। चिकित्सा से लेकर घरों में भी कम्प्यूटरों का प्रयोग किया जा रहा है। इस कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है। कम्प्यूटर को कार्य प्रणाली के अनुसार निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है: 

    (1) डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer)
    (2) एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer)
    (3) हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)।



    Digital Computer 


    1. डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer) – डिजिट का अर्थ होता है अंक। डिजिटल कम्प्यूटर अंकों की गणना करते हैं। साधारणतया गणना करने के लिए ही कम्प्यूटर का प्रयोग करते हैं। डिजिटल कम्प्यूटर में सभी निर्देश व आँकड़े बाइनरी डिजिट के रूप में सुरक्षित होते हैं। डिजिटल कम्प्यूटर का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है।

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    Analog Computer 


    2. एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer) - एनालॉग कम्प्यूटर अंकों की गणना नहीं करते हैं। एनालॉग कम्प्यूटर नापने की क्रिया पर निर्भर होते हैं। एनालॉग कम्प्यूटर में लगातार संकेत के रूप में सूचनाएँ मिलती रहती है जिसे यह परिवर्तित करके के आँकड़ों  के रूप में प्रदर्शित करते हैं। स्पीडो मीटर, वोल्ट मीटर, थर्मामीटर इत्यादि एनालॉग उपकरण है। इसमें लगातार मिलने वाले संकेतों की माप को प्रदर्शित किया जाता है। रडार एक एनालॉग कम्प्यूटर है। एनालॉग कम्प्यूटर की मैमोरी बहुत अधिक नहीं होती है। एनालॉग कम्प्यूटर से शत-प्रतिशत शुद्धता नहीं प्राप्त होती है।


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    Hybrid Computer 



    3. हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)— एनालॉग कम्प्यूटर और डिजिटल कम्प्यूटर के गुणों का सम्मिलित रूप हाइब्रिड कम्प्यूटर हैं। हाइब्रिड कम्प्यूटर के द्वारा करेंट को नापने एवं आँकड़ों की गणना दोनों प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं। इनका प्रयोग अधिकांशतः वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है।


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    सेटेलाइट में हाइब्रिड कम्प्यूटर कार्य करता है। ई.सी.जी. (E.C.G.) की मशीन भी एक हाईब्रिड कम्प्यूटर है।

     गति (speed) एवं संग्रह क्षमता (storage capacity) के आधार पर कम्प्यूटर को निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया गया है:


    (1) माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer),


    (2) मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer), 


    (3) मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer),


    (4) सुपर कम्प्यूटर ( Super Computer) | 



    Micro Computer 


    1. माइको कम्प्यूटर (Micro Computer) — माइक्रो कम्प्यूटर आकार में सबसे छोटे होते हैं। इनकी कीमत भी बहुत कम होती है। साधारणतया माइक्रो कम्प्यूटर ही प्रयोग में लाए जाते हैं। माइक्रो कम्प्यूटर की वर्ड लेन्थ 8 से 32 बिट तक होती है। इनका प्रयोग एक बार में एक ही व्यक्ति कर सकता है। इनकी गति तथा संग्रहण क्षमता बहुत कम होती है। इनको पी.सी. या पर्सनल कम्प्यूटर भी कहते है। आधुनिक पी.सी. (PCs), Pentium P5 तथा Pentium P6 आदि।


    Mini Computer 


    2. मिनी कंम्प्यूटर (Mini Computer ) — मिनी कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर की अपेक्षा आकार में बड़े होते हैं। इनका प्रयोग बड़ी संख्या में किया जाता है। मिनी कम्प्यूटर की वर्ड लेन्थ 32 बिट या इससे भी अधिक होती है। एक मिनी कम्प्यूटर को एक ही समय में 40 व्यक्ति तक एक साथ प्रयोग कर सकते हैं। PDP-II 11/45, VAX 11 आदि मिनी कम्प्यूटर हैं


    इनकी गति 10 से 30 MIPS (Million Instruction Per Second) होती है।


    Mainframe Computer 


    3. मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer ) — मेनफ्रेम कम्प्यूटर मिनी कम्प्यूटर की अपेक्षा आकार में बड़े होते हैं। इनका प्रयोग अधिक संख्या में आँकड़ों को प्रोसेस करने तथा जटिल गणनाओं को करने के लिए किया जाता है। इनकी वर्ड लेन्थ 64 बिट तक होती है।


    UNIVAC 1190, JBM 3020 आदि मेनफ्रेम कम्प्यूटर है।


    Super Computer 


    4. सुपर कम्प्यूटर ( Super Computer ) : यह आकार में बहुत बड़े होते है। इन कम्प्यूटर की गति तथा संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है। एक सुपर कम्प्यूटर की गति लगभग 400 से 10,000 MIPS तक होती है। इनकी वर्ड लैन्ध लगभग 96 BIT तक होती है। इनमें सी. पी. यू. (C.P.U.) सामान्तर लगे रहते हैं। CRAY-1, CRAY-2, HITACHI-81020 आदि विदेशी सुपर कम्प्यूटर हैं तथा पराग व अनुराग भारतीय सुपर कम्प्यूटर हैं।



    विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटर | Different Types Of Computer 


    • Desktop Computer 
    • Laptop Computer 
    • Tablet Computer 
    • Servers 


    डेस्कटॉप कम्प्युटर | Desktop Computer


    डेस्कटॉप कम्प्युटर एक ऐसा कम्प्युटर है जिसे डेस्क(Table) पर रखने के अनुकूल डिजाइन किया गया है। इस कम्प्युटर में आमतौर पर सिपीओ , मॉनिटर, कीबोर्ड,माउस और स्पीकर शामिल है। यह अधिक जगह घेरता है। इस कम्प्युटर के सभी पार्ट्स मजबूत और टिकाऊ रहते हैं। 

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    लैपटॉप कम्प्युटर  | Laptop Computer


    लैपटॉप कम्प्युटर एक ऐसा कम्प्युटर जो आकार में छोटा होता है और इसके सभी पार्ट्स जैसे स्क्रीन, कीबोर्ड, माउस एक साथ रहता है अर्थात इन सभी को अलग नहीं किया जा सकता है। यह बैटरी से चलता है और इसे कहीं भी ले जाकर यूज किया जा सकता है। यह डेस्कटॉप कम्प्युटर की तरह ठोस नहीं रहता है और यह डेस्कटॉप की अपेक्षा काफी महंगा रहता है। 

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    टैबलेट कम्प्यूटर | Tablet Computer


    टैबलेट कम्प्यूटर एक तरह का पोर्टेबल कम्प्यूटर है जो टच स्क्रीन इंटरफेस के साथ आता है । यह बहुत छोटे आकार का होता है। इस में इंटरनेट ब्राउजिंग, इमेल आदि सभी काम होते हैं। 

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    सर्वर कम्प्यूटर | Server computer


    सर्वर कम्प्यूटर एक प्रकार का कम्प्यूटर होता है जो नेटवर्क के माध्यम से अन्य कम्प्यूटरो को सेवाएं प्रदान करता है ‌ । यह एक केन्द्रीय कम्प्यूटर होता है जहां पर सारा डाटा स्टोर होता है । 

    Server computer, server computer kya hai


    कम्प्यूटर एवं मानव की तुलना | Compression between Computer and Human


    1. कम्प्यूटर एक इलैक्ट्राँनिक मशीन है जिसे इन्सान ने बनाया है जबकि मानव प्राकृतिक देन है। 
    2. कम्प्यूटर एक मशीन है अतः इस को थकान महसूस नही होता है जबकि इन्सान कुछ समय काम करने के बाद थक जाता है ।  
    3. कम्प्यूटर कभी कोई गलती खुद नही करता है जबकी मानव कितना ही विद्वान क्यो न हो कभी न कभी गलती करता है ।
    4. कम्प्यूटर मे कृत्रिम बुद्धि होती है जबकि मानव मे स्वाभाविक बुद्धि होती है ।
    5. कम्प्यूटर सोच समझकर कोई कार्य नही कर सकता है जबकि मनुष्य मे सोचने-समझने  की शक्ति होती है । 
    6. कम्प्यूटर मे सीखने की शक्ति नही होती है जबकि मानव कोई भी कार्य सीखकर उसका अनुभव कर सकता है । 
    7. कम्प्यूटर और मानव की तुलना की जाए तो मानव की अपेक्षा कम्प्यूटर बहुत तेज गति से कार्य कर सकता है । 
    8. बदलते परिवेश के साथ मानव स्वयं को ढाल सकता है लेकिन कम्प्यूटर ऐसा   नही कर सकता 



    कम्प्यूटर का उपयोग (Use of Computer)


    आज पूरा विश्व अपनी जरूरत के हिसाब से कम्प्यूटर का यूज कर रहा है । कम्प्यूटर अत्यधिक तेज गति से कार्य करता है और इस की विश्वसनीयता के कारण लोग इसे हर क्षेत्र मे यूज कर रहे हैं । जो कार्य करना पहले बहुत मुश्किल था अब कम्प्यूटर की सहायता से लोग बहुत सरलता से कर लेते हैं । हर काम के लिए हर प्रकार के सॉफ्टवेयर उपलब्ध है जैसे चिकित्सा के लिए, अकाउंटिंग के लिए, डिजाइनिंग के लिए आदि 


    कंप्युटर का इतिहास (History Of Computer)


    कम्प्यूटर की खोज व विकास का इतिहास 2500 साल से भी पुराना है । वैसे कई लोगो ने कम्प्यूटर के विकास मे अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन सबसे बड़ा योगदान चार्ल्स बैबेज का माना जाता है उन्होंने सबसे पहले Analytical engine नामक एक शक्तिशाली व पूर्णतया स्वचालित यंत्र तैयार किया जो आगे चलकर आधुनिक कम्प्यूटर का आधार बना ।
    कम्प्यूटर के इतिहास से जुड़े ऐसे ही इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स पढने के लिए इस लिंक पर कम्प्यूटर का इतिहास क्लिक कर अपने कम्प्यूटर ज्ञान को बढ़ाए 


    कंप्युटर की पीढ़ियां (Generation of Computer)


    कम्प्यूटर के विकास का इतिहास बहुत पुराना है लेकिन जैसे-जैसे इसका विकास होता गया इन्हे अलग-अलग पीढियो मे विभाजित कर दिया गया ताकि कम्प्यूटर का Generation लोगो को अच्छे से समझ मे आ जाए। नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से आप इसे बहुत बारीकी से समझ सकते हैं । 

    Computer Generation Table 


    क्रं संख्या पीढ़ी काल तकनीक
    1 प्रथम पीढ़ी 1942-1955 वैक्यूम ट्यूब
    2 द्वितीय पीढ़ी 1955-1964 ट्रांजिस्टर
    3 तृतीय पीढ़ी 1964-1975 IC (integrated Circuit)
    4 चतुर्थ पीढ़ी 1975-1990 VLSI
    5 पंचम पीढ़ी 1990- अभी तक ULSIC With Al


    कम्प्यूटर का महत्व (Importance of computer)


    • अंतरिक्ष अनुसंधान मे इसी का यूज किया जाता हर प्रकार के कार्य मे 
    • यह गणना करने मे काफी शुध्द परिणाम देता है ।
    • नयी नयी तकनीक का खोज करने के लिए इस ने लोगो का काम आसान कर दिया है ।
    • चिकित्सा जगत मे जाँच करने से लेकर सर्जरी करने तक काम को आसान कर दिया है । 
    • इंटर्नेट और वाई-फाई का यूज करने मे यह यंत्र महत्वपूर्ण योगदान देता है । 
    • औद्योगिक क्षेत्र मशीनो का संचालन, उत्पादो का उत्पादन, खरीद-बिक्री, बारकोडिंग हर जगह कार्य करता है । 
    • हर क्षेत्र मे यह समय की बहुत बचत करता है ।
    • बैंकिंग मे लगभग सभी कार्य इसी से संबंधित रहते हैं । 
    • शिक्षा के क्षेत्र मे भी इस का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है ।

    • यह संचार का सबसे अच्छा साधन है ।
    • इसे बहुत आसानी से समझकर इस पर कार्य किया जा सकता है।
    • यह एक बहुत ही किफायती और सस्ता यंत्र है ।
    • कम्प्यूटर सभी प्रकार के फाइल को साझा करने की एक बेहतरीन यंत्र है ।
    • कम्प्यूटर मे कई गिगाबाइट रैम यूज किया जाता है अतः हम कितना भी डॉक्यूमेंट्स रखे इस मे जगह की कमी नही होती है ।
    • अगर कम्प्यूटर का यूज कर कोई भी कार्य किया जाता है तो उस काम मे टाईम की बहुत बचत होती है । 

    कम्प्यूटर के हानि

    • कम्प्यूटर पर देर तक काम करने से आँखे कमजोर होती है ।
    • इस की वजह से बहुत से लोगो को नींद नही आती है ।
    • ज्यादा भोजन करना और मोटापा की शिकायत 
    • इस के यूज से शारीरिक गतिविधियो मे कमी आती है अर्थात लोगो के लिए काम की कमी हो सकती है । 
    • इस पर काम करने के लिए लोगो को बहुत देर तक बैठना परता है इस के चलते रक्त परिसंचरण सही से नही हो पाता है । 
    • कमर,सर और आँख मे दर्द की शिकायत रहती है ।
    • गलत तरीके से यूज करने पर समय की बर्बादी होती है ।
    • अगर आप लैपटॉप को अपने जांघ पर रखकर प्रयोग करते है तो नपुंसक होने का खतरा रहता है ।



     कम्प्यूटर की सीमाए |Limitations Of Computer In Hindi 



    कम्प्यूटर एक मशीन है और वह अपना कोई भी कार्य खुद नही कर सकता है । कोई भी कार्य करने के लिए कम्प्यूटर को हम इन्सान की सहायता लेनी पड़ती है जब तक हम कोई निर्देश नही देंगे तब तक कम्प्यूटर कोई भी कार्य नही कर सकता है । 




    कम्प्यूटर के क्षेत्र मे करियर क्या है ? | Carriers Opportunities In The Computer Fields 


    कम्प्यूटर का क्षेत्र बहुत ब्यापक हैं । इस फील्ड मे कई ऐसे स्पेशलाइज्ड क्षेत्र विकसित हो गए हैं जिन्हे उप क्षेत्रो मे भी विभाजित कर दिया गया है । जो इस क्षेत्र मे करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए अनेको ऑप्शन है । इस क्षेत्र मे अनेको ऐसे कोर्सेज है जिन्हे पढाई कर हासिल किया जा सकता है और एक पोस्त पर जॉब पा सकता है । कुछ कोर्स का उदाहरण आप नीचे देख सकते है - 


    Hardware Engineer 



    कम्प्यूटर अनेक छोटे-छोटे पार्ट्स से मिलाकर बना है । इन सभी पार्ट्स को हम हार्डवेअर कहते हैं इन मे से कोई भी पार्ट्स खराब होने पर उसे ठीक करने के लिए हमे हार्डवेयर इंजीनियर के पास ले जाना पड़ता है इस तरह आप समझ गये कि हार्डवेयर किसे कहते हैं और हार्डवेयर इंजीनियर क्या होता है । हार्डवेयर इंजीनियरिंग का कोर्स करने के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 होना चाहिए।  इस कोर्स को करने के बाद एक अच्छी जॉब मिल सकती है । इस जॉब मे वेतन की बात करे तो सुरूआत मे आप को 20000 रूपया से लेकर 50000 तक मील सकता है और जैसे जैसे अनुभव बढता है वैसे ही सैलरी भी बढती जाती है । कम्प्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर बनने के लिए कुछ कोर्सेज का सूची आप नीचे देख सकते है 

    • Hardware Networking Course
    • Hardware Diploma Course 
    • Computer CALC Course 
    • Computer Micro Processing Course 
    • Diploma In Computer CALC
    • Computer Hardware Structure 
    • Master Of Science In Hardware And Networking 


    इस लिंक पर क्लिक कर आप ऑनलाइन कम्प्यूटर हार्डवेयर कोर्स कर सकते हैं बहुत कम प्राइज पर और साथ मे कोर्स कंप्लीट सर्टिफिकेट भी पा सकते हैं । 

    Computer Programmer



    हम जिस कम्प्यूटर को चलाते हैं उसका कोड जो ब्यक्ति लिखता है उसे हम कम्प्यूटर प्रोग्रामर कहते हैं । कम्प्यूटर प्रोग्रामर सभी फंक्शन के लिए सभी प्रकार का कोड लिखता है और हमारे काम को आसान कर देता है । कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग एक बहुत ही रोचक और बढ़िया करियर विकल्प है, जिसमें बेहद समृद्धि है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स हैं जो कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं:

    •  बेहतर रोजगार संभावनाएं: कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग एक तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र है, जिसमें नौकरी के लिए विभिन्न रोजगार संभावनाएं हैं। इस फील्ड में नौकरी करने के लिए सॉफ़्टवेयर डेवलपर, वेब डेवलपर, मोबाइल एप्लीकेशन डेवलपर, डेटा एनालिस्ट, एआई डेवलपर, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट और गेम डेवलपर जैसे कई पद उपलब्ध होते हैं।
    • तकनीकी विकास: कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में करियर करके आप नवीनतम तकनीकी विकास में रहते हैं। आपको नए और चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका मिलता है, जो आपके तकनीकी नौकरी में आगे बढ़ने को समर्थ बनाते हैं।
    •  रोजगार के अवसर विदेश में: कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में काम करने के लिए विदेशों में भी बहुत सारे अवसर होते हैं। यह आपको विदेश में नौकरी करने और विभिन्न देशों की कल्चर को जानने का मौका देता है।
    • नवीनतम टेक्नोलॉजी का उपयोग: कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में करियर बनाने से आप नवीनतम टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में सक्षम होते हैं। यह आपको स्किल और ज्ञान में विशेषज्ञता प्रदान करता है और आप अपने शीर्षक पर रहते हुए प्रोजेक्ट्स को सम्पन्न करने में मदद करते है।
    • रोजगार के स्तरों में वृद्धि: कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें आपको अपने करियर के स्तरों में वृद्धि का अवसर मिलता है। जैसे-जैसे आप अपने कौशल को समृद्ध करते हैं, आपको उच्चतर पदों और जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ता है।

    कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में करियर बनाने के लिए आपको एक स्ट्रोंग नोटेशन और लोजिकल सोच की आवश्यकता होती है।


    Software Developer 



    सॉफ्टवेयर डेवलपर की तुलना हम कम्प्यूटर प्रोग्रामर से कर सकते हैं लेकिन इन दोनो स्किल के बीच एक बहुत छोटा सा अंतर होता है जिसे समझने के बाद ही हम दोनो के भेद जान पाएंगे 
    एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर मुख्य रूप से कम्प्यूटर हार्डवेयर के ऊपर चलने वाल प्रोग्राम को बनाता है । उदाहरण के लिए यूटिलिटी प्रोग्राम, ऑपरेटिंग सिस्टम इत्यादी 
    एक सॉफ़्टवेयर डेवलपर यूजर्स के जरूरत को पूरा करता है जैसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफ़िस, टैली, ब्राउजर आदि


    Web Developer 



    वेब डेवलपर उस व्यक्ति को कहते हैं जो वेबसाइट, ब्लॉग और वेब ऐप्स बनाने के लिए उच्चतम स्तर पर प्रोग्रामिंग और वेब तकनीक का उपयोग करता है । वेब डेवलपर विभिन्न तकनीकी और प्रोग्रामिंग भाषा का उपयोग कर वेब ऐप्स, ब्लॉग ,स्टैटिक और डायनेमिक व्यबसाइत और अन्य डिजिटल सामग्री बनाता है । 
    वेब डेवलपमेंट कोर्स करने के लिए निम्नलिखित चरण आपकी मदद कर सकते हैं:

    •  बेसिक प्रोग्रामिंग भाषाओं का सीखना: वेब डेवलपमेंट के लिए, आपको HTML, CSS, और JavaScript जैसी बेसिक प्रोग्रामिंग भाषाओं को समझना आवश्यक है। इन भाषाओं का इंट्रोडक्शन के लिए ऑनलाइन ट्यूटोरियल और कोर्सेस मिलते हैं।
    • वेब डेवलपमेंट के फ्रेमवर्क सीखें: पॉपुलर वेब डेवलपमेंट फ्रेमवर्क्स जैसे React, Angular, और Vue.js सीखने से आपके डेवलपमेंट प्रोसेस को सुगम बना सकता है।
    • सर्वर साइड डेवलपमेंट: वेब ऐप्स और डायनेमिक वेबसाइट्स के लिए, आपको सर्वर साइड डेवलपमेंट की भी जानकारी होनी चाहिए। Node.js, Express.js, और Django जैसे टेक्नोलॉजीज इसमें मदद कर सकती हैं।
    • डेटाबेस का ज्ञान: डायनेमिक वेबसाइट्स और वेब ऐप्स में डेटा बेस का प्रबंधन करने के लिए आपको डेटाबेस की भी जानकारी होनी चाहिए। MySQL, PostgreSQL, और MongoDB जैसे डेटाबेस टेक्नोलॉजीज इसमें उपयोगी हो सकती हैं।
    •  प्रैक्टिस के लिए प्रोजेक्ट्स: सीखते समय आप छोटे-मोटे प्रोजेक्ट्स बनाकर अपने कौशल को अभिवृद्धि कर सकते हैं। अधिकतर कोर्सेस के अंत में प्रोजेक्ट्स बनाने का अवसर मिलता है।
    • ऑनलाइन संसाधन: वेब डेवलपमेंट के लिए आपको बेहतरीन ऑनलाइन संसाधन और विडियो ट्यूटोरियल्स मिल सकते हैं। मुफ्त और पेड संसाधन दोनों ही उपलब्ध हैं।
    • नौकरी प्राप्ति: अपने कौशल के संचय के बाद, आप वेब डेवलपर के रूप में नौकरी ढूंढने के लिए वेबसाइट्स पर अपना पोर्टफोलियो दिखा सकते हैं या फ्रीलांस काम आरंभ कर सकते हैं।


    Web Designer 



    • वेब डिजाइनर वह व्यक्ति होता है जो वेबसाइट, ब्लॉग, नेविगेशन थीम आदि डिजाइन करता है । 
    • सभी प्रकार का वेब डिजाइन ग्राफिक्स टूल्स के माध्यम से किया जाता है जिन्हे बाद मे प्रोग्रामिंग भाषा के द्वारा वास्तविक रूप दिया जाता है । 
    • वेब डिजाइन को वेब डेवलपर वेबसाइट्स मे जोड़ दिया जाता है और इस तरह एक वेबसाइट्स बनता है । 
    • कुछ जगहो पर वेब डिजाइन और वेब डेवलपर का काम एक ही व्यक्ति करता है जिसे हम Full Stack Developer कहते हैं । 
    • Full Stack Developer के पास उपरोक्त दोनो स्किल होती है । 



    Network Administrator 



    एक ऑफिस हजारो कम्प्यूटर पर एक साथ काम चलता है और ये सभी कम्प्यूटर एक ही नेटवर्क से जुड़ा रहता है यथा- कम्पनी सरकारी संस्थान, अस्पताल,  स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, एल आई सी ऑफिस आदि जगहो पर । इन सभी कम्प्यूटर का डिजाइन, नेटवर्क संबंधित समस्याओ का समाधान एक नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर ही करता है । जिस के लिए उन्हे अच्छी-खासी इन्कम होती है ।


    Data Scientist 



    डाटा का विश्लेषण करने वाले व्यक्ति को डाटा साइंटिस्ट कहा जाता है । इसके पास बहुत सारा डाटा रहता है जिस का विश्लेषण करके वो अर्थपूर्ण जानकारी देता है । डेटा साइंटिस्ट को डेटा खोदक भी कहा जाता है क्योकि इन का काम विभिन्न प्रकार का डेटा खोदना रहता है और ये बड़े बड़े बिजनेस के साथ काम करते हैं जहाँ से उन्हे बड़ा डाटा मिलता है । इन डाटा को विभिन्न श्रेणियो मे बाँटना , इसका उपयोग करके कोई खास पैटर्न ढूँढना , डाटा से संबंधित किसी खास समस्याओ का हल निकालने जैसे महत्वपूर्ण कार्य डाटा साइंटिस्ट करते हैं । 


    Game Developer 



    आप जो अपनी पसंदीदा गेम अपने पीसी , लैपटॉप या मोबाइल पर खेलते हैं उसे बनाने वाला ही गेम डेवलपर कहलाता है । इसके नाम से ही पता चल जाता है कि इसका काम गेम से संबंधित है । यह विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप्स और वेबसाईट बनाते है । यह गेम किसी समस्याओ का समाधान करने या फिर मनोरंजन के लिए भी हो सकता है । वेबसाइट्स पर यूजर्स को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वेब आधारित गेम बनाते हैं और यूजर्स को खेलने के लिए इन्हे इन्स्टॉल करने की भी जरूरत नही होती है । 
     

    Computer Teacher 



    कम्प्यूटर सीखने के बाद हमारे पास अनेको ऑप्शन रहते हैं पैसा कमाने का । इसे सीखने के बाद सिर्फ काम कर ही हम पैसा नही कमा सकते बल्कि बच्चो को कम्प्यूटर के बारे मे पढ़ाकर भी अर्निंग जेनरेटर कर सकते है इसके लिए हमे पहले कुछ पैसा लगाना परेगा और कुछ कम्प्यूटर खरीद कर हम टीचिंग चालू कर सकते हैं । इसके लिए हमे एजुकेशन डिग्री लेनी परेगी जिसे हम डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से ले सकते हैं । 


    Computer Operator




    कम्प्यूटर ऑपरेटर हम उसे कहते हैं जो कम्प्यूटर का संचालन कर सके । इसके लिए कम्प्यूटर का बेसिक ज्ञान होना जरूरी है जैसे माइक्रोसॉफ्ट वर्ड , ऐक्सेल, पावर पॉइंट आदि और बांकी कुछ विशेष नॉलेज की जरूरत नही होती है । एक कम्प्यूटर ऑपरेटर का वास्तविक काम उसकी जगह और पोजिशन पर निर्भर करता है । उदाहरण के लिए एक होटल मे रिसेप्शन पर कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम रूम बुक करना ,रूम की स्थिति बताना , बिल देना आदि 


    Data Entry Operator



    किसी डाटा , सूचना या पेपर मे लिखे गये शब्द को साॅफ्टवेयर मे इंट्री करने या लिखना  ही डाटा इंट्री ऑपरेटर का काम है । जो व्यक्ति किसी कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर पर किसी जानकारी को लिखता है या इंट्री करता है तो उसे डाटा इंट्री ऑपरेटर कहते हैं । डाटा इंट्री का काम आप ऑनलाइन भी कर सकते हैं जो पार्ट टाइम स्वभाव का होता है । डाटा इंट्री ऑपरेटर को काम के हिसाब से सैलरी मिलती है । इस काम के लिए हिन्दी और अंग्रेजी टाइपिंग आना चाहिए 


    Computer Typist



    टाइपिस्ट का अर्थ होता है टाईप करने वाला ।  जिस तरह पढाई के साथ लिखना आना बहुत जरूरी है ठीक उसी प्रकार कम्प्यूटर सीखने के सा टाइपिस्ट का स्किल बहुत जरूरी है । आजकल इस तरह न तो सिखाने वाले का ध्यान जाता है और न ही सिखने वाले का । कम्प्यूटर ऑपरेटर से ज्यादा वैल्यू एक तच टाइपिस्ट की होती है । आप किसी भी कोर्ट मे जायेंगे तो आप को एक टाइपिस्ट का वैल्यू समझ मे आयेगा जब आप को प्रति शब्द किमत चुकानी परेगी । भारतीय कोर्ट मे इसका पद भी रहता है और आप एक साधारण सी स्किल को सीखकर सरकारी जॉब भी पा सकते हैं ।


    Vloging



    विलॉगिंग को यूट्यूबिंग भी कहा जाता है यह ऑनलाइन पैसा कमाने के एक ऐप्स है जहा पर आप अपने ज्ञान को विडिओ के माध्यम से शेयर कर अर्निंग कर सकते है । यहा पर आप को जिस टॉपिक पर ज्यादा पकड़ है या जिस चीज के बारे मे आपको विशेष नॉलेज है उस टॉपिक पर अच्छे से अच्छे विडिओ बनाकर डाले और एसइओ के बारे मे थोड़ा-बहुत जानकरी लेकर विडिओ पब्लिश कर और अपने ज्ञान को मोनिटरिंग कर घर बैठे पैसा कमाए।  यूट्यूब पर आप जितनी पब्लिक को अपनी ओर आकर्षित करेंगे अपनी योग्यता से और जितना अधिक व्यूह लेकर आयेंगे आप की अर्निंग भी उतनी ही अधिक होगी । 


    Blogging



    ब्लॉगिंग एक अमेरिकन ऑनलाइन कन्टेंट मैनेजमेंट सिस्टम है । यहां पर आप अपनी योग्यता को पूरी दुनिया मे फैला सकते हैं और साथ ही एक अच्छा खासा इन्कम जेनरेट कर सकते हैं । आपको जिस विषय मे भी रूचि है उसी को अपना नीश बनाना है और बहुत ही अच्छे तरीक  से आर्टिकल इन्टरनेट पर प्रकाशित करना है । अगर लोगो को आपका पोस्त पसंद आता है तो आप अपने ब्लॉग का ट्रैफिक बढ़ाकर इतना घर बैठे कमा सकते हैं जितना लोग कोई प्राइवेट या सरकारी जॉब मे भी नही कमा सकते हैं । इस के लिए आप को सबसे बेस्ट आर्टिकल लिखना है और साथ ही कुछ एसइओ के नियम को जानना है । 


    Grafic Designer


    • अगर आप को पेंटिंग करना पसंद है तो कम्प्यूटर के क्षेत्र मे आपके लिए यह सबसे बेहतरीन जॉब स्किल है और आप इस क्षेत्र मे अपना हाथ आजमा सकते हैं 
    • वेबसाइट्स, आइकॉन, बैनर और न जाने कितने क्षेत्र मे इसकी जरूरत होती है । 
    • किसी गेम मे आपको जो दुनिया दिखाई देती है उसे एक ग्राफिक्स डिजाइनर द्वारा ही डिजाइन किया जाता है । 
    • बारहवी के बाद आप इस क्षेत्र मे एडमिशन ले सकते हैं । 
    • उपरोक्त सभी कोर्स के लिए आप को बेसिक कम्प्यूटर कोर्स से लेकर एडवांस कम्प्यूटर कोर्स एवं डिप्लोमा कोर्स करने परते हैं । 


    पीसी क्या है - What Is Pc In Hindi 


    पीसी(Pc)  वह कम्प्यूटर है जिसे हम घर या दफ्तर मे यूज करते हैं । यह आकार मे बहुत छोटा और सस्ता होता है । पहले के समय मे कम्प्यूटर कमरे के आकार का होता था और काफी महंगा होता था । जिसे एक साथ कई लोग यूज करते थे लेकिन अब जो कम्प्यूटर साधारणतया यूज किया जाता है उसे हम पीसी कहते हैं जिसे एक साधारण इंसान भी खरीद सकता है । pc का पूरा नाम है Personal Computer इसे हिन्दी मे व्यक्तिगत कम्प्यूटर कहा जाता है । इन कम्प्यूटर को बनाने मे माइक्रोप्रोसेसर मुख्य रूप से सहायक होते हैं इसलिए इसे हम माइक्रो कम्प्यूटर भी कहते हैं ।  पीसी क्या होता है इसकी पूरी जानकारी हिन्दी मे आप इस पोस्ट पर जाकर पा सकते हैं । 




    Computer Buying Guide In Hindi 


    कम्प्यूटर खरीदने से पहले हमे कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए  । आइए जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स को जिससे हम एक परफेक्ट कम्प्यूटर खरीद सके और हमे किसी प्रकार का लॉस न हो । 

    • पहले हमे इस बात का ध्यान रखना है कि हम कम्प्यूटर किस काम के लिए खरीद रहे हैं । हमे लैपटॉप खरीदना चाहिए या डेस्कटॉप इसका एक आसान सा जवाब है यदि हमे घर पर या दुकान पर या ऑफिस मे काम के लिए लेना है तो हमे डेस्कटॉप ही लेना चाहिए और यदि हमारा काम ऐसा नही है हमे अलग-अलग जगह पर जाकर काम करना पड़ता है तो हमे लैपटॉप लेना चाहिए।  
    • कम्प्यूटर खरीदते समय हमे मॉनीटर पर भी ध्यान देना चाहिए । मॉनीटर खरीदते समय हमे अपने जरूरत के हिसाब से खरीदना चाहिए और साथ ही साइज और रेजोल्यूशन पर भी ध्यान  रखना चाहिए।  हमे कम से कम बीस इंच का मॉनीटर खरीदनी चाहिए।  बड़े साइज का मॉनीटर हमे अच्छी क्वालिटी देती है । जितना बड़ा साइज मॉनीटर होगा उतना ही अच्छा रेजोल्यूशन होगा और हम एचडी फोटो, विडिओ देख सकते हैं । आज के टाईम मे हमे एलसीडी या एलईडी मॉनीटर ही खरीदना चाहिए 
    • सीपीयू या प्रोसेसर कम्प्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है इसको कम्प्यूटर का ब्रेन कहा जाता है । प्रोसेसर जितना फास्ट होगा हमारा कम्प्यूटर उतना ही तेजी से काम करेगा । हमे हमेशा अच्छे ब्रांड का सीपीयू लेना चाहिए।  
    • रैम भी कम्प्यूटर का एक महत्वपूर्ण भाग है । इसके बिना कम्प्यूटर काम नही कर सकता है । हमारा कम्प्यूटर जितने अधिक रैम का होगा उतना ही अधिक परफॉर्मेंस करेगा और हैंग होने से बचा रहेगा 
    • हमे कम्प्यूटर मे फोटो ,विडिओ, ऑडियो सॉन्ग, डॉक्यूमेंट्स आदि रखने के लिए स्पेस की जरूरत होती है और यह स्पेस हमे कम्प्यूटर मे हार्ड डिस्क(HDD) उपलब्ध कराता है । हमे कम से कम 250 GB का हार्ड डिस्क वाला कम्प्यूटर जरूर खरीदना चाहिए और अधिक से अधिक 500 GB या वन टीबी भी खरीद सकते हैं । 


    नया कम्प्यूटर खरीदने के बाद उस का सेटअप/ कनेक्शन कैसे करे 


    • जब हम नया कम्प्यूटर खरीद कर अपने घर या ऑफिस लाते हैं तो हमे उस कम्प्यूटर के कई कम्पोनेन्ट्स अलग अलग मिलते हैं और हमे उन सभी को एक-दूसरे के साथ कनेक्ट करना पड़ता है तो आइए जानते हैं  कम्प्यूटर का सेटअप कैसै किया जाता है । 

    • जब हम नया कम्प्यूटर का पूरा सेट खरीदते हैं तो हमे एक सीपीयू , मॉनीटर, कीबोर्ड और माउस मिलता है जो कम्प्यूटर का मुख्य पार्ट्स है । इसके अलावा हमे प्रिंटर, स्पीकर, स्कैनर यूपीएस इत्यादि मिलता है  तो आइए जानते हैं इसको एक एक कर कैसे कनेक्ट किया जाता है - 

    • सीपीयू कम्प्यूटर का सबसे मुख्य पार्ट्स है । कम्प्यूटर के सारे केबल इसी से जुड़े रहते हैं । कम्प्यूटर के सारे कम्पोनेन्ट्स का एक केबल सीपीयू से कनेक्ट होता है । सीपीयू मे एक पावर केबल लगता है । इसे हम यूपीएस मे लगाते हैं । 
    • मॉनीटर कम्प्यूटर का एक आउटपुट डिवाइस है इस मे दो प्रकार का केबल लगता है । इस मे एक पावर केबल लगता है इसे मॉनीटर मे एक पोर्ट लगाने के बाद दूसरा सिरा यूपीएस मे लगाते हैं जिससे मॉनीटर को पावर मिलता है । इसके बाद दूसरा केबल जिसके दोनो छोड़ पर वीजीएफ पोर्ट पर रहता है । एक पोर्ट को मॉनीटर मे लगाया जाता है तथा दूसरे को सीपीयू मे जिससे मॉनीटर मे हमे विडिओ दिखाई देता है । 
    • कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है और इस मे से सिर्फ एक वायर निकला रहता है । इस मे सामान्यतः दो प्रकार का पोर्ट रहता है पीएस 2 पोर्ट या यूएसबी । इस केबल को सीपीयू मे लगाया जाता है संबंधित पोर्ट मे । 
    • माउस भी एक इनपुट उपकरण है । इस मे भी सिर्फ एक केबल रहता है और इसे भी वैसे ही कनेक्ट किया जाता है जैसे कीबोर्ड को किया जाता है । 
    • इस प्रकार नया कम्प्यूटर का सेटअप किया जाता है । यह एक इजी प्रोसेस है इस मे आपको पोर्ट का ध्यान रखना है । जिस प्रकार का पोर्ट दिया गया है उसी पोर्ट मे आप को सीपीयू मे लगाना है । 



    FAQ'S (आप के द्वारा पूछे गए सवाल और उनके जवाब)


    Q1.  कंप्यूटर की पूरी परिभाषा क्या है?
    Ans. कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो लगभग सभी प्रकार के काम बहुत कम समय में कर सकता है और इस का परिणाम बहुत विश्वसनीय होता है।

    Q2. कंप्यूटर के पिता कौन थे?
    Ans. चार्ल्स बैबेज 

    Q3. कम्प्यूटर का पूरा नाम क्या है?
    Ans. Commonly operating machine purposely used for trade education and research 

    Q4. संगणक से आप क्या समझते हैं?
    Ans. कम्प्यूटर को ही हिंदी में संगणक कहा जाता है। 

    Q5. कंप्यूटर की शुरुआत कब हुई?
    Ans. दुनिया का पहला कम्प्यूटर मैकेनिकल कम्प्यूटर था जिसे 1822 में चार्ल्स बैबेज ने बनाया था और यहीं से कम्प्यूटर युग की शुरुआत हुई थी। 

    Q6. कंप्यूटर का हिंदी नाम क्या है?
    Ans. कम्प्यूटर का हिंदी नाम संगणक है । 

    Q7. भारत का पहला कंप्यूटर कौन था?
    Ans. भारत का पहला कम्प्यूटर सिद्धार्थ  था 

    Q8. कंप्यूटर में कितने भाग होते हैं?
    Ans. कम्प्यूटर में मुख्य रूप से दो भाग होते हैं। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर 

    Q9. कंप्यूटर दिवस कब मनाया जाता है?
    Ans. हर वर्ष दो दिसंबर को विश्व कम्प्यूटर साक्षरता दिवस मनाया जाता है। 

    Q10. प्रथम कंप्यूटर का नाम क्या था?
    Ans. प्रथम कम्प्यूटर का नाम था मैकेनिकल कम्प्यूटर 

    Q11. भारत में कंप्यूटर किसने पेश किया है?
    Ans. भारत में कम्प्यूटर की शुरुआत सिद्धार्थ नामक कम्प्यूटर से हुआ था। 

    Q12. सबसे छोटा कंप्यूटर कौन सा है?
    Ans. आकार में सबसे छोटा कम्प्यूटर मिशिगन माइक्रो मोटा (M^3) है 

    Q13. भारत में सुपर कंप्यूटर का जनक कौन है?
    Ans. भारत में सुपर कम्प्यूटर का जनक डॉ. विजय पांडुरंग भटकर को माना जाता है। 

    Q14. भारत में कंप्यूटर क्रांति कब शुरू हुई?
    Ans. भारत में कम्प्यूटर क्रांति की शुरुआत 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने की थी। 

    Q15. सबसे बड़ा कंप्यूटर कौन सा है?
    Ans. सुपर कम्प्यूटर सबसे बड़ा कम्प्यूटर है। 

    Q16. कंप्यूटर की खोज कब हुई?
    Ans. कम्प्यूटर की खोज लगभग 1822 में हुई थी। 

    निष्कर्ष ( Conclusion) 


    इस लेख मे हमने कम्प्यूटर से जुड़ी सभी प्रश्नो का उत्तर दिया है यथा- कम्प्यूटर क्या है ? । अर्थ परिभाषा ,परिचय,  प्रकार, कम्प्यूटर का पूरा नाम, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, कम्प्यूटर का उपयोग, कम्प्यूटर की सीमा , कम्प्यूटर का जनक , कम्प्यूटर की पीढ़ी ,कम्प्यूटर और मानव मे अंतर, कम्प्यूटर के लाभ और हानि ,  कम्प्यूटर के क्षेत्र मे करियर, एफएक्यू आदि सभी प्रश्नो का उत्तर दिया है साथ ही कम्प्यूटर से जुड़े कई पोस्ट का लिंक भी दिया है ।  यदि इस मे कोई कमी रह गया है तो आप हमे टिप्पणी कर बताए हम त्वरित उस कमि को पूर्ण करने की कोशिश करेंगे । 
     

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